आज रविवार को दिल्ली के कराला गांव में उस वक्त जनसैलाब उमड़ पड़ा जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के विरोध में यहां के निवासियों ने एकजुट होकर विरोध-प्रदर्शन किया। कराला गांव और इसमें स्थित सभी कॉलोनियों रुपाली एन्क्लेव, आनंदपुर धाम कॉलोनी, भगत सिंह कॉलोनी, शिव विहार के निवासियों ने इस प्रदर्शन में भाग लेकर आतंक के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। यह विरोध प्रदर्शन न केवल आतंकवाद के खिलाफ रोष प्रकट करने का माध्यम बना, बल्कि देशभक्ति और एकजुटता की मिसाल भी पेश की।

इस मार्च में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए, जिनमें बुज़ुर्ग, युवा, महिलाएं और बच्चे तक शामिल थे। सभी लोगों ने अपने हाथों में तख्तियां और बैनर पकड़े हुए थे जिन पर आतंकवाद के खिलाफ नारे लिखे थे जैसे – “हम सहनशील है कमजोर नहीं”, “सरकार और सेना का साथ आतंक का कटेगा हाथ “, “आतंकवाद मुर्दाबाद”, “हिन्दू खून व्यर्थ नहीं जायेगा”, “क्या हिन्दू होना अपराथ है?”, “जहाँ हिन्दू पर हुआ वार, पूरा देश करेगा प्रहार”, “जाति में बंटेंगे नहीं, धर्म पूछ कर कटेंगे नहीं”, आदि। प्रदर्शनकारियों ने पूरे कराला गांव में पैदल मार्च किया और देशवासियों से आतंक के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।

बुज़ुर्गों ने इस प्रदर्शन को एक भावनात्मक पहलू से जोड़ा, रामविलास जी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि किस तरह देश ने पहले भी आतंक की कई मारें झेली हैं, लेकिन हर बार देश और अधिक मजबूत होकर उभरा है। युवाओं ने भी अपनी ऊर्जा और जोश से प्रदर्शन में जान डाल दी। वे देशभक्ति के नारे लगाते हुए मार्च में आगे-आगे चल रहे थे और पूरे माहौल को जोश से भर दिया।

महिलाओं और बच्चों की उपस्थिति ने इस विरोध प्रदर्शन को और भी प्रभावशाली बना दिया। महिलाओं ने कहा कि वे अपने देश की रक्षा के लिए हर मोर्चे पर तैयार हैं, और आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बच्चों भी अपने हाथों में नारे लगे हुए बोर्ड और बैनर लिए हुए आगे आगे चल रहे थे।
प्रदर्शन के अंत में सभी लोगों ने कराला चौक पर इकठ्ठा होकर, पहलगाम हमले में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी।
यह प्रदर्शन यह साबित करता है कि देश के किसी कोने में अगर आतंकवादी हमला होता है, तो पूरे देशवासी उसे अपने ऊपर हुआ हमला समझते हैं और उसके खिलाफ आवाज़ उठाते हैं। कराला गांव का यह मार्च न सिर्फ एक विरोध था, बल्कि देशभक्ति, साहस और सामूहिक चेतना का प्रतीक भी था।